वाटिका (कक्षा-5) पाठ-3 मेरी शिक्षा

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पाँचवें या छठे बरस में मेरा अक्षरारंभ कराया गया था। उस समय की प्रचलित प्रथा के अनुसार अक्षरारंभ मौलवी साहब ने बिस्मिल्लाह के साथ कराया था। जिस दिन अक्षरारंभ हुआ, मौलवी साहब आए; मिठाई बाँटी गई। हम तीन विद्यार्थी उनके सुपुर्द किए गए- एक मैं और दूसरे दो, अपने कुटुंब के ही चचेरे भाई।

वाटिका,पाठ-3 मेरी शिक्षा

मेरी शिक्षा डॉ राजेंद्र प्रसाद

यमुना प्रसाद जी सबसे बड़े थे। वे हमारे लीडर थे। वे तमाम खेल और लड़कपन की शैतानी में आगे रहा करते थे। उनके एक चचा, जो मेरे भी चचा थे, बहुत मजाक पसंद थे। वह मेरे पिता जी के छोटे भाई थे, पर पिता जी के कई गुण उन्होंने भी सीखे थे। वह घोड़े की सवारी करते थे। बंदूक और गुलेल चलाना भी खूब जानते थे। फारसी भी पढ़े थे और शतरंज भी बहुत खेलते थे।

मौलवी साहब जो हम लोगों को पढ़ाने आए, विचित्र आदमी थे। उनका बहुत-सी बातों पर दावा था। बलदेव चचा के मजाक के लिए वह एक बहुत ही उपयोगी साधन बन गए। चचा तरह-तरह की बातें मौलवी को सुनाते और उनको उत्साह देकर यह कहलवा देते कि वह भी, चाहे कोई भी काम क्यों न हो, जानते या कर सकते हैं। मौलवी साहब का दावा था कि वे शतरंज खेलना भी खूब जानते हैं। बलदेव चचा उन्हें शतरंज खेलाते पर वे कभी न जीतते। हम बच्चे इस मजाक को कौतूहल से सुनते।

एसआईपी के प्रकार

इस प्रकार के मजाकों के बीच हम फारसी पढ़ते रहे। कुछ महीने बाद मौलवी साहब चले गए। दूसरे मौलवी साहब बुलाए गए। वे बहुत गंभीर थे और अच्छा पढ़ाते भी थे। हफ्ते में साढ़े पाँच दिन फारसी पढ़ाते थे। बृहस्पतिवार की दोपहर के बाद और शुक्रवार की दोपहर तक फारसी से छुट्टी रहती थी, तब गिनती सिखाते थे। खेलने-कूदने के लिए भी समय दिया जाता था।

हम लोग खूब सबेरे उठकर मौलवी साहब के पास जाते थे। वे एक कोठरी में रहा करते थे। सामने आँगन में तख्तपोश पर बैठकर हम पढ़ा करते थे। सवेरे आकर पहले का पढ़ा हुआ पाठ दोहराया जाता। जो जितना जल्दी याद कर लेता, उसको उतना ही जल्द नया सबक पढ़ा दिया जाता था। तब तक सूर्योदय हो जाता। हम अपना मुँह हाथ धो लेते और माँ के पास कुछ खाने के लिए पहुँच जाते। प्रायः आधा घंटे की छुट्टी मिलती। नाश्ता करके लौटने पर सबक याद करना पड़ता और सबक याद करके सुना देने के बाद मौलवी साहब हुक्म देते- किताब बन्द करो।

किताब बंद करके तख्ती निकालनी होती। तख्ती भर जाती तो उसे धोना पड़ता। इस क्रिया में भी कुछ समय खेलने को मिलता। दोपहर को नहाने और खाने के लिए एक या डेढ़ घंटे की छुट्टी मिलती और खाकर फिर उसी तख्तपोश पर सोना पड़ता। मौलवी साहब चारपाई पर सोते। दोपहर के बाद दूसरा सबक मिलता और उसको याद करके सुनाने पर ही खेलने की छुट्टी मिलती।

मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप म्युचुअल फंड का अंतर

शाम को जल्द नींद आती। डर रहता कि मौलवी साहब हमें पलक झपकाते देख न लें, नहीं तो मार पड़ती। जल्दी छुट्टी के दो उपाय थे। खेल-कूद में जमना भाई लीडर थे। जल्दी छुट्टी पाने के लिए भी उपाय वही करते। पढ़ने के लिए तेल का दीया जलाया जाता था। जमना भाई रेत की छोटी पोटली बना लेते और छिपाकर उसे दीये में रख देते। वह शीघ्र ही तेल सोख लेती और दीया जल्द बुझने पर आ जाता। मौलवी साहब दाई पर गुस्सा होते कि तेल कम क्यों डाला; और वे मजबूर होकर किताब बंद करने का हुक्म दे देते।

वाटिका,पाठ-3 मेरी शिक्षा

और जो कुछ फारसी का ज्ञान हुआ, उन्हीं मौलवी साहब ने दिया। हम सब भी उनको प्यार करने लगे थे। जब घर छोड़कर छपरा अंग्रेजी पढ़ने के लिए जाना पड़ा तो मौलवी साहब को और हम लोगों को भी बहुत दुःख हुआ।

-डॉ. राजेंद्र प्रसाद

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का संक्षिप्त परिचय

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

जन्म3 दिसंबर 1884
जन्म स्थानबिहार राज्य के वर्तमान सीवान जिले के जीरादेई गांव में
मृत्यु28 फरवरी 1963
पिता का नाममहादेव सहाय
माता का नामकमलेश्वरी देवी
पुरस्कार 1962 में भारत रत्न
पुस्तक आत्मकथा, बापू के कदमों में बाबू, इंडिया डिवाइडेड, सत्याग्रह ऐट चंपारण, गांधीजी की देन आदि
सर्वोच्च पदस्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति

शब्द अर्थ

शब्दअर्थ
बेखौफनिडर
सबकसीख, जानकारी
दरख्तपेड़
अक्षरारंभपढ़ने की शरुआत
बिस्मिल्लाहशुभारंभ
सुपुर्दसौंपना

बोध प्रश्न: उत्तर लिखिए

(क) बालक राजेंद्र प्रसाद का अक्षरारंभ किसने कराया था?

(ख) उनके साथ कौन-कौन पढ़ता था?

(ग) पहले मौलवी साहब और दूसरे मौलवी साहब में क्या अंतर था?

(घ) देर तक न पढ़ना पड़े, इसके लिए जमना भाई क्या चल चलते थे?

एक्टिव म्युचुअल फंड और पैसिव म्युचुअल में कौन सही

सोच-विचार: बताइए-

दूसरे वाले मौलवी साहब के बारे में ऐसा क्यों कहा गया है कि “वे बहुत गंभीर थे और अच्छा पढ़ते भी थे।”

3. भाषा के रंग

(क) नीचे लिखे शब्दों को सही क्रम में लिखकर वाक्य बनाइए-

  • कोठरी/ करते/ रहा/ में/ वे/ एक/ थे
  • सही क्रम: वे एक कोठरी में रहा करते थे
  • समय/ भी/ था/ खेलने/ -/ के/ लिए/ कूदने/ दिया/ जाता
  • सही क्रम: खेलने-कूदने के लिए भी समय दिया जाता था
  • आधा/ प्राय:/ मिलती/ छुट्टी/ घंटे/ की/ थी
  • सही क्रम: प्राय: आधा घंटे की छुट्टी मिलती थी
  • चारपाई/ साहब/ सोते/ पर/ मौलवी/ थे
  • सही क्रम: मौलवी साहब चारपाई पर सोते थे

(ख) छोटे-बड़े, इधर-उधर : यहाँ विलोम अर्थ देने वाले शब्दों की जोड़ी बनी है। इस प्रकार के शब्दों के जोड़े पुस्तक से ढूँढ़कर लिखिए।

(ग) धीरे-धीरे, तरह-तरह: यहाँ एक ही शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है, इस प्रकार के पाँच शब्दों के जोड़े पुस्तक से ढूँढ़कर लिखिए।

(घ) ‘बेखौफ’ शब्द में ‘बे’ उर्दू का उपसर्ग जुड़ा है। यह उपसर्ग शब्द में जुड़कर उसका अर्थ उलटा कर देता है। खौफ का अर्थ होता है- भय, परंतु बेखौफ का अर्थ निर्भय हो जाता है। इसी प्रकार इन शब्दों के अर्थ लिखिए- बेदाग, बेकसूर, बेघर, बेवजह, बेहिसाब, बेमिसाल

4. तुम्हारी कलम से-

(क) आपका अक्षरारंभ किस उम्र में और कैसे हुआ?

(ख) आप अपने स्कूल में कौन-कौन से विषय पढ़ते व सीखते हैं?

(ग) आपको कौन-सा विषय सबसे अच्छा लगता है और क्यों?

5. अब करने की बारी-

(क) डॉ राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।उनकी आत्मकथा पढ़िए।

(ख) “सपने वो नहीं, जो आप सोते वक्त देखते हैं। सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।” यह प्रसिद्ध वाक्य भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति का है। पता कीजिए ये कौन थे?

6. मेरे दो प्रश्न: पाठ के आधार पर दो सवाल बनाइए-

प्रश्न 7. इस पाठ से-

(क) मैंने सीखा

(ख) मैं करूंगी/करूंगा

प्रश्न. आत्मकथा से आप क्या समझते हैं?

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